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इर्शादे-बारी तआला है,
"व रत्-तिलिल्-क़ुर्-आ-न तर्-तीला' (सूरह मुज्जम्मिलः 4) "और कुर्आन को ठहर-ठहरकर पढ़ा करो.'
कुर्आन; अल्लाह का कलाम है, इसकी तिलावत पूरे अदब व एहतिराम के साथ की जानी चाहिये. तिलावते-कुर्आन सहीह तर्ज़ पर करने के लिये तज्वीद के उसूलों की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है.
हमारे देश में मुसलमानों की एक बहुत बड़ी आबादी, कुर्आन पढ़ना नहीं जानती. जो लोग कुर्आन पढ़ लेते हैं उनमें भी ज्यादातर लोग सहीह तर्ज़ पर कुर्आन की तिलावत नहीं कर पाते. अक्सर व बेशतर लोग तज्वीद के उसूलों से, या यूँ कहें कि कुर्आन की ग्रामर से नावाकिफ हैं.
ऐसे हालात में, यह “कुर्आनी काइदः” हिंदी मीडियम से कुर्आन की ग्रामर या'नी तज्वीद के उसूलसिखाने की एक कोशिश है. इसमें अिल्मे-तज्वीद की अहमियत बताने के साथ-साथ, तज्वीद के हर उसूलको मिषालों के ज़रिए समझाने की कोशिश की गई है. इस "कुर्आनी काइदः' को 30 चैप्टर्स में बाँटकर एक महीने के कोर्स के रूप में तर्तब दिया गया है. हर सबक के साथ लिखित प्रेक्टिस वर्क के लिये जगह छोड़ी गई है ताकि आप इसे एक वर्क-बुक की तरह इस्ते'मालकर सकें.
Specifications
Pages |
112 |
Size |
23x36/16cm |
Weight |
145g |
Status |
Ready Available |
Edition |
IInd Edition |
Printing |
Double Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |