Rakshas Rajya

SKU: RKSHRJ

₹ 130 ₹ 220

Details

अब्बास पठान सोशल मीडिया पर एक जाना-पहचाना नाम है. समाज में फैली हुई बुराईयों को व्यंग्य एवं लघुकथाओं के माध्यम से वे बहुत ही प्रभावी अंदाज़ में बयान करते हैं. उनके शब्दों में हर इन्सान के प्रति दर्द है, वेदना है. उनका मानना है कि हर इन्सान के साथ एक फ़रिश्ता और एक राक्षश रहता है. फ़रिश्ता उसे नेक कामों के लिए उभारता है तो राक्षस उसे बुराईयों के गहरे सागर में डूबो देना चाहता है. या’नी हर इन्सान में थोडा देवत्व होता है तो थोड़ी राक्षस-वृति भी होती है. अब्बास पठान ने लिखा है, ‘इस किताब के ज़रिए मैंने इन्सान के स्वभावगत और नैतिक रूप से पथभ्रष्ट होने की बुराई पर चर्चा की है. मेरा मक़सद मानव समाज – जिसमें मैं खुद भी शामिल हूँ-को वो आइना दिखाना है जिसके ज़रिए उसे अपने भीतर बैठा राक्षस स्पष्ट रूप से नज़र आ जाए.’ उन्होंने आगे लिखा है, ‘इस किताब के ज़रिए, मैं मानव समाज को ये एहसास दिलाना चाहता हूँ कि उसने क्या-क्या ग़लतियाँ की हैं और कितने क़िस्म के राक्षसों की छाया को वो अपने दिलों-दिमाग़ में उठाए हुए घूमता-फिरता है.’ यह किताब, इन्सानी समाज के अन्दर, दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही राक्षस सोच पर वैचारिक हमला करने का एक छोटा-सा प्रयास मात्र है.

Specifications

Pages 128
Size 23x36/16cm
Weight 180g
Status Ready Available
Edition Ist Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back