Details
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) कहते हैं कि रसूलुल्लाह (स.) ने इर्शाद फर्माया, कोई भी आदमी अपने घर से नहीं निकलता, मगर उसके पास दो झण्डे होते हैं. एक झण्डा फरिश्ते के हाथ में होता है और दूसरा शैतान के हाथ में. अगर वो ऐसे काम के लिये निकलता है जो अल्लाह के नज़दीक पसंदीदा होता है तो फरिश्ता अपना झण्डा लेकर उसके पीछे-पीछे चलता है और घर वापस आने तक वो फरिश्ते के झण्डे तले होता है. और अगर वो ऐसे काम के लिये निकलता है जो अल्लाह अज़्ज़ व जल के नज़दीक नापसंदीदा होता है तो शैतान अपना झण्डा लेकर उसके पीछे-पीछे चलने लगता है और घर वापस आने तक वो शैतान के झण्डे तले होता है. (मुस्नद अहमद : 2/323)
शैतान हमारा खुला दुश्मन है. वो कभी नहीं चाहता कि हम नेकी वाले काम करके अल्लाह के महबूब बन्दे बनें. सवाल यह है कि उससे बचा कैसे जाए? इस किताब में शैतान के शर से बचने की कुछ तदबीरें बयान की गई हैं.
Specifications
Pages |
36 |
Size |
10.5x18.5cm |
Weight |
35g |
Status |
Ready Available |
Edition |
IInd Edition |
Printing |
Single Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |