Jahannam Ki Aag

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Details

जहन्नम की आग ........कितनी भयानक, तकलीफदेह और शदीद (तेज़) होगी, उसका ज़िक्र अल्लाह तआला ने कुर्आन हकीम में कई जगह फर्माया है, 'नारुन् हामिया या'नी भड़कती हुई आग' (सूरह कारिआ : 11); 'नारन् तलज़्‌ज़ा या'नी शोले उगलती आग' (सूरह लैल : 14); "नारुम्मुअ्सदा या'नी छाई हुई आग" (सूरह बलद : 20); 'नारुल्लाहिल् मूकदतुल्लती तत्तलिउ अलल अफ्इद‌‍ह या'नी अल्लाह की भड़काई हुई आग जो दिलों तक पहुँचेगी' (सूरह हुमज़ा : 6-7); 'लव्वाहतुल् लिल् बशर या'नी खाल झुलसा देने वाली' (सूरह मुद्दष्षिर : 25)
कू अन्फुसकुम व अहलीकुम नारा की चेतावनी को सामने रखें तो मा'मला बड़ा ही खतरनाक नज़र आता है. अगर हमें किसी मुसीबत या परेशानी का वक्त से पता चल जाये तो उससे बचने के लिये हम पूरी कोशिश करते हैं. अल्लाह तआला ने अपने कलामे मजीद में साफ-साफ अल्फाज़ में अज़ाबे-जहन्नम की हौलनाकी की खबर दी है. मुसलमान होने के नाते हमारा ईमान है कि कुर्आन करीम का हर लफ्ज़ हक है. उसके बावजूद हमें आखिर क्या हो गया है कि हम उस आग से बचने की वैसी कोशिश नहीं कर रहे हैं, जैसी करनी चाहिये.

Specifications

Pages 72
Size 10.5x18.5cm
Weight 60g
Status Ready Available
Edition Ist Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back