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डॉ. ज़ाकिर नाइक, इस दौर के एक ऐसे इस्लामी विद्वान हैं जो इस्लाम के बारे में फैली गलतफहमियों का जवाब ऐसे तर्कसंगत ढंग से पेश करते हैं कि उसके बाद दिल व दिमाग में कोई हुज्जत बाकी नहीं रहती. आपके अंदाज़े–बयां में ऐसी कशिश है कि सुनने वाले पर जादुई प्रभाव पड़ता है. विज्ञान धर्म के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता. धार्मिक किताबों में बयान की गई मान्यताओं को आधुनिक विज्ञान सुबूत के अभाव में रद्द कर देता है. इसी आधार पर आधुनिक विज्ञान तमाम धर्मों को ईश्वरीय मानने से इन्कार कर देता है. सवाल यह है कि क्या आधुनिक विज्ञान अन्य धर्मों की तरह इस्लामी धर्मग्रन्थ कुर्आन को भी नकार सकता है?
प्रस्तुत किताब डॉ. ज़ाकिर नाइक की लेखनी का नायाब नमूना है.उन्होंने बड़ी मेहनत से विज्ञान की जदीद खोजों की तुलना कुर्आन की आयतों से करके मुस्लिमों को बताया कि वे अपने दीन पर यकीनन फ़ख्र कर सकते हैं. मूल किताब अंग्रेज़ी में है, बड़ी मेहनतों के बाद यह किताब आसान हिन्दी में पेश करने की कोशिश की गई है. इस किताब की तर्तब अंग्रेज़ी किताब के समरूप दी गई है और रंगीन तस्वीरें इसके मैटर को समझना बहुत आसान कर देती है. यह किताब पढ़कर आपको यकीनन आश्चर्य होगा और खुशी भी होगी कि वैज्ञानिकों ने अपने द्वारा की गई खोजों को कुर्आन की आयतों के अनुकूल पाया. मॉडर्न साइंस ने बहुत सी खोजें की हैं, लेकिन तमाम वैज्ञानिक उस वक्त लाजवाब (निरूत्तर) हो गये जब उन्हें पता चला जो खोज उन्होंने इस दौर में की है, उसके बारे में जानकारी कुर्आन में पहले से मौजूद है. अल्लाह से दुआ है कि यह किताब आपके ज्ञान में और ज्यादा बढ़ोतरी करने वाली साबित हो.
Specifications
Pages |
80 |
Size |
14x22cm |
Weight |
300g |
Status |
Out of Stock |
Edition |
IInd Edition |
Printing |
Multi-Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |