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एक कहावत है, "प्यार अंधा होता है.' लेकिन हम कहते हैं कि वो लूला-लंगड़ा और बहरा भी होता है. वो न तो अच्छा-बुरा देखता है, न ही नेकी की बात सुनता है. आम तौर पर "मुहब्बत की झूठी कहानी' बेहद खौफनाक अंदाज में बिखरती है. अक्सर ये देखा गया है कि साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले नौजवान अपनी माशूका को अधर में छोड़कर वापस अपने माँ-बाप के पास चले जाते हैं. लड़के का गुनाह माफ कर दिया जाता है और बदनामी का शिकार लड़की बेसहारा हो जाती है. कभी तंग आकर लड़कियाँ खुदकुशी भी कर लेती हैं, तो कभी गलत राह इख़्तियार कर लेती है. कई ऐसे मामले भी पेश आते हैं कि आशिक खुद ही अपनी माशूका का क़त्ल कर देता है. आए दिन अखबारों में ऐसी खबरें छपती हैं.
"शरीअत और अदालत' शीर्षक के तहत प्रकाशित इस किताब में हमने घर से फरार होकर निकाह करने वाली लड़कियों के सुलगते हुए सामाजिक मसले को वाज़ेह (स्पष्ट) करने की कोशिश की है. इस मसले पर इस्लाम का क्या रुख है, यह हमने कुर्आन व हदीष की रोशनी में बताने की कोशिश की है ताकि अदालतें भी माँ-बाप के ज़ज्बात को समझें और नौजवान नस्ल भी इस पर गौर करे.
Specifications
Pages |
40 |
Size |
14x22cm |
Weight |
55g |
Status |
Ready Available |
Edition |
Ist Edition |
Printing |
Double Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |