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अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने इर्शाद फर्माया,
"इन्सान के मरने के बाद उसके आ'माल और उसकी भलाइयों में से जो चीज़ें उसे नफा पहुंचाती है, वे ये हैं-
इल्म, जो उसने दूसरों को सिखाया और फैलाया.
नेक औलाद, उसने अपने पीछे छोड़ी.
कुर्आन के इल्म का किसी को वारिष बनाया.
मस्जिद बनवाई.
मुसाफिरों के लिये कयामगाह (सराय) बनवाई.
नहर (या कुंआ) बनवाया.
सदका, जो अपने माल में से अपनी ज़िंदगी और सेहत की हालत में निकाला. (सुनन इब्ने माजा)
इस हदीष में पहले इल्म का ज़िक्र आया है जिसमें वो तमाम किस्म के ज्ञान शामिल हैं जिनसे इन्सानों को फायदा पहुँचता है. लेकिन इस हदीष में कुर्आन के इल्म का ज़िक्र अलग से दोहराया गया है और मस्जिद बनवाने के ज़िक्र से पहले इसका बयान किया गया है, इससे कुर्आन करीम के इल्म की अज्मत का इज़हार होता है. लिहाज़ा हमें चाहिये कि हमें चाहिये कि आखिरत में फायदा पाने के लिये कुर्आन के इल्म को ज्यादा से ज्यादा आम (सार्वजनिक) करें.
Specifications
Pages |
36 |
Size |
10.5x18.5cm |
Weight |
35g |
Status |
Ready Available |
Edition |
Ist Edition |
Printing |
Single Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |