Aankho Ki Buraiyan

SKU: ANKBR

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Details

अल्लाह के रसूल (ﷺ)  ने फर्माया,
"इन्सान की निगाह, शैतान का ज़हर से भरा तीर है. जिसने (अपनी) आँख को पराई औरत के देखने से बचाया तो अल्लाह तआला उसके ईमान में ऐसी लज्ज़त पैदा करता है जिससे उसका दिल मालामाल हो जाता है.'  (तबरानी, हाकिम)
आँखों की बुराई, एक ऐसा फित्ना है जिससे बचना बेहद ज़रूरी है. अल्लाह के रसूल (ﷺ)  ने हया को ईमान की शाख बताया है. जब इन्सान बेहया हो जाता है तो गोया उसका ईमान, उसके अन्दर से निकल जाता है.
यह किताब "आँखों की बुराई' उन चुनिंदा खराबियों की निशानदेही करती है जो बुरी नज़र से किसी गैर औरत को देखने वाले इन्सान में पैदा हो जाती है.
 

Specifications

Pages 24
Size 10.5x18.5cm
Weight 25g
Status Ready Available
Edition IIIrd Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back