Sadqa Kab Kyun Aur Kise Dain?

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Details

हर मुस्लिम की चाहत होती है कि वो जन्नत में दाखिल हो लेकिन जन्नत उसी को नसीब होगी जिसे अपनी जान और माल से ज्यादा अल्लाह का हुक्म प्यारा हो. मालदारों पर ज़कात फर्ज़ है लेकिन इसका मतलब ये हर्गिज़ नहीं है कि ज़कात अदा करने के बाद बाकी बचे माल को मनचाही जगह पर या ऐश-मौज के लिये खर्च करने की उनको 'छूट' मिल गई है. हर इन्सान से रोज़ाना कोई न कोई खता या गुनाह ज़रूर हो जाते हैं, खास तौर पर वो लोग जो काम-धंधा या तिजारत करते हैं. कोई इन्सान, चाहे कितना ही एहतियात क्‌यों न बरत ले लेकिन उससे कारोबार के दौरान कोई न कोई ऐसा काम हो ही जाता है जिसकी वजह से उनकी रूह नजिस (नापाक) हो जाती है. इस रूहानी गंदगी से तहारत (पाकी) हासिल करने के लिये अल्लाह ने मोमिनों को हुक्म दिया है कि वो सद्‌का दें. इस किताब में सद्‌का के बारे में तफ्सील से जानकारी दी गई है और साथ ही सद्‌के से जुड़ी तमाम गलतफहमियों की तर्दद (खण्डन) करते हुए इसका सहीह मकसद बयान किया गया है.

Specifications

Pages 48
Size 10.5x18.5cm
Weight 40g
Status Ready Available
Edition Ist Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back