Ikhlas Ka Noor

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Details

इख्लास का मतलब है, कोई नेक काम भी अल्लाह की मर्ज़ के मुवाफिक (अनुरूप) और उसके रसूल (स.) के सुन्नत तरीके के मुताबिक किया जाए. नेक व अच्छा काम करते वक़्त तकवा (अल्लाह का डर) रखना, इख्लास की बुनियादी शर्त है.
रियाकारी का मतलब है, लोगों को दिखाने के लिये नेक काम करना. रियाकार कोई भी काम करते वक्‌त ये देखता है कि "लोग क्या कहेंगे?' या'नी रियाकारी इख्लास का उलट (विलोम) है.
आखिरत के अज्र को भूलकर सिर्फ दुनियवी फायदा हासिल करने के लिये कोई नेक काम करना, नेक कामों के ज़रिये दुनिया तलब करना कहलाता है. इसमें रियाकारी और दुनियवी लालच दोनों शामिल हैं. मदरसों में इस्लाम की ता'लीम दी जाती है, मदरसा चलाने की खातिर लोगों से मदद तलब की जा सकती है लेकिन अगर कोई शख्स उसका श्रेय (क्रेडिट) अपने ऊपर लेते हुए अपने फायदे की खातिर, अपने खुद के लिये, किसी से कोई चीज़ चाहे तो यह नेक कामों के ज़रिये दुनिया तलब करना है.
इस किताब में इन तीनों मुद्दों पर तफसील (विस्तार) से चर्चा की गई है. इसके साथ ही इसमें रियाकारी व दुनिया तलबी से बचने और इख्लास हासिल करने के तरीके भी आसान ज़बान (भाषा) में बयान किये गये हैं. हमें उम्मीद है कि यह पाठकों के लिये मुफीद (लाभप्रद) और ज्ञानवर्धक षाबित होगी, इंशाअल्लाह!

Specifications

Pages 32
Size 14x22cm
Weight 45g
Status Ready Available
Edition Ist Edition
Printing Double Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back