Aurat Aur Shopping

SKU: AUASH

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Details

बाज़ार जाना इन्सान की ज़रूरत भी है और मजबूरी भी. लेकिन आज के उपभोक्तावादी दौर में बहुत से लोगों के लिये यह दिल बहलाव की एक चीज़ बन गई है. टीवी में प्रदर्शित और अखबारों में छपने वाले विज्ञापनों ने जहाँ इसे बढ़ावा दिया है वहीं मॉल कल्‌चर के आने के बाद बाद तो 'शॉपिंग' की आदत एक नशे की तरह बन गई है.
हमारे समाज में आम तौर पर औरतें ही बाज़ार जाती है क्योंकि मर्द अपने कारोबार या मज़दूरी पर चले जाते हैं. औरतों और मर्दों में कुछ बुनियादी फर्क हैं. इन्हें न मानना हकीकत से इन्कार करने के बराबर है. अल्लाह के रसूल (स.) ने सबसे बेहतरीन जगह मस्जिद और सबसे बदतरीन जगह बाज़ार को बताया है. इसलिये बाज़ार जाने के दौरान औरतों को विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है. बहुत से आवारा किस्म के नौजवान सज-संवरकर बाज़ारों में तफरीह करने आते हैं. आम तौर पर उनका मकसद खरीदारी करने आई औरतों के साथ छेड़छाड़ करना होता है. अगर औरत बाज़ार जाए तो उसे किन बातों का ध्यान रखना चाहिये, यह किताब इस मामले में इस्लामी नुक्‌त-ए-नज़र (दृष्टिकोण) से औरतों की रहनुमाई करती है

Specifications

Pages 60
Size 10.5x18.5cm
Weight 50g
Status Ready Available
Edition IIIrd Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back