Rizq Ki Kunjiya

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Details

रिज्क हर इन्सान की ज़रूरत है. अल्लाह तआला ने तमाम इन्सानों की न सिर्फ तखलीक (रचना) की बल्कि उसके लिये रिज्क का मा'कूल इंतज़ाम भी किया है. अल्लाह के रसूल (ﷺ) का इर्शाद है,  "लोगों! अल्लाह से डरो. कमाई में शरीअत का खयाल रखो. जब तक कोई बन्दा अपना पूरा रिज्क हासिल न कर ले, उसकी मौत नहीं आती, चाहे रिज्क उसे कितनी ही देर से क्यों न पहुँचे?' (इब्ने माजा)  हर बन्दे की ये ज़िम्मेदारी है कि वो जाइज़ व हलाल तरीके से उस रिज्क को पाने के लिये कोशिश करे, जो अल्लाह ने उसके मुकद्दर में लिख रखा है. हलाल रिज्क से ज़िन्दगी में बरकत आती है और अल्लाह की रज़ा हासिल होती है. हज़रत साद बिन अबी वक्कास (रज़ि.) ने अर्ज़ किया, "या रसूलल्लाह (ﷺ)! मेरे लिये दुआ कर दीजिये कि अल्लाह मेरी दुआ कुबूल करे.' आप (ﷺ) ने इर्शाद फर्माया, "तुम अपनी कमाई की हलाल रोज़ी खाया करो.' (तबरानी)  कुछ लोग ये कहते हैं कि आज के दौर में रिज्क कमाने के लिये इस्लाम की ता'लीमात से नज़र चुराना और नाजाइज़ तरीकों का सहारा लेना इन्सान की मजबूरी है. लेकिन ये एक शैतानी चाल है. यह किताब कुर्आन व हदीष के हवाले से, ठोस दलीलों के ज़रिये उन चुनिंदा दस तरीकों का बयान करती है जिनके ज़रिये एक इन्सान जाइज़ तरीके से रिज्क हासिल कर सकता है.

Specifications

Pages 80
Size 14x22cm
Weight 110g
Status Ready Available
Edition Ist Edition
Printing Double Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back