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सूरह कहफ कुर्आन मजीद की वो सूरह है जिसकी अहादीष में बहुत ज़्यादा फज़ीलत बयान हुई है । कहफ का मतलब होता है, गार या गुफा । इस सूरह में कुछ नौजवानों का वाकिया बयान हुआ है जिन्होंने काफिर लोगों के शर से अपने आपको और अपने ईमान को बचाने के लिये एक गार में पनाह ली थी। अल्लाह तआला ने उन्हें अपनी कुदरत की एक अज़ीमुश्शान निशानी दिखलाई । इस सूरह की शुरूआती दस आयतों और आखरी दस आयतों की अहमियत व फज़ीलत अहादीष में बयान हुई है । आप (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) का इर्शाद है, "जो कोई सूरह की कहफ की शुरू व आखिर की दस आयतों को याद करे और पढ़े वो दज्जाल के फसाद से महफूज़ रहेगा ।'(सहीह मुस्लिम) जुम्आ के दिन सूरह कहफ पढ़ने की फज़ीलत के बारे में आप (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) का इर्शाद है, "जो कोई इस (सूरह) की तिलावत जुम्आ के दिन करेगा अल्लाह तआला उसे एक नूर अता करेगा जो अगले जुम्अे तक उसके साथ रहेगा ।' (मुस्तदरक हाकिम, जामेअ सगीर) इस सूरह के पढ़ने से घर में सलामती और बरकतें नाज़िल होती हैं । एक बार एक सहाबी सूरह कहफ की तिलावत कर रहे थे तो उनके घर में बंधा घोड़ा बिदकने लगा। उन्होंने गौर से देखा तो पाया कि आसमान में एक बादल है जिसने उन्हें ढाँप रखा था । सहाबी इस वाकिये का ज़िक्र नबी करीम (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) से किया तो आप (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) ने फर्माया, "इसे पढ़ा करो, इसके पढ़ते वक्त सलामती नाज़िल होती है ।'(सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम)
Specifications
Pages |
64 |
Size |
9x11.5cm |
Weight |
1g |
Status |
Ready Available |
Edition |
IInd Edition |
Printing |
Single Colour |
Paper |
Maplitho |
Binding |
Paper Back |