Ae Muslim Bahan

SKU: AEMMB

₹ 22 ₹ 30

Details

मुस्लिम का मतलब होता है, अल्लाह का फर्माबरदार (आज्ञाकारी) होना. इस्लाम में यह ज़िम्मेदारी मर्द व औरत दोनों पर एक समान रूप से लागू है या'नी इसमें कोई जिन्सी (लैंगिक) भेदभाव नहीं है.
इस किताब में कुर्आन व सहीह हदीषों की रोशनी में 50 अहमतरीन नसीहतों का ज़िक्र किया गया है. अगर इन पर अमल किया जाए तो औरत अल्लाह की नेक बन्दी बनने के साथ-साथ समाज में इज्ज़त और वकार (सामाजिक प्रतिष्ठा) भी पा सकती है. लेकिन ये बेहद अफसोस की बात है कि आधुनिकता और नारी-स्वतंत्रता के नाम पर औरतों को आवारगी और गुमराही की तरफ धकेला जा रहा है.
वैसे तो ये नसीहतें हर औरत के लिये मुफीद (लाभप्रद) हैं. लेकिन हिदायत की रोशनी से महरूम (वंचित) और दुनियवी चकाचौंध में अंधी हो चुकी जदीद ता'लीमयाफ्‌ता (आधुनिक शिक्षा प्राप्त) कुछ औरतों को ये नसीहतें 'बोझल, दकियानूस और मर्दवादी' लग सकती हैं. जब आज़ादी का मतलब, आवारगी समझा जाने लगे तो इन्सान सोचने-विचारने की ताकत खो देता है.
यह किताब औरतों से गुज़ारिश (निवेदन) करती है कि जवानी की चकाचौंध के पीछे छुपे बुढ़ापे के घनघोर अंधेरे को देखें जो दबे पाँव उनकी ओर बढ़ रहा है. ये तो सिर्फ दुनियवी नुक्सान की बात है जिसकी अभी भी भरपाई हो सकती है लेकिन आखिरत के दिन अफसोस करना भी कोई काम नहीं आएगा.

Specifications

Pages 36
Size 10.5x18.5cm
Weight 35g
Status Ready Available
Edition IIIrd Edition
Printing Single Colour
Paper Maplitho
Binding Paper Back